(M88) - Casino Gaming Rule Put the fun into gaming at the online casino, Big Time Gaming Casinos place your bets and win at our online casino. आंदोलन में पहलवानों का समर्थन कर रहे भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत भी बैठक नहीं थे।साक्षी मलिक ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, हमें बताया गया था कि पुलिस जांच 15 जून तक पूरी हो जायेगी। तब तक हमें इंतजार करने और विरोध स्थगित करने के लिए कहा गया है।
नई दिल्ली। नागालैंड सरकार ने 3 साल पहले प्रदेश में कुत्तों के मांस के बेचे जाने पर रोक लगा दी थी। इस मामले में अब गुवाहाटी हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए इसे रद्द कर दिया है। साल 2020 में नागालैंड सरकार ने व्यावसायिक आयात, कुत्तों की खरीद-फरोख्त और कुत्तों के मांस की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। इसके साथ ही रेस्टोरेंट में इसे सर्व किए जाने पर भी रोक लगी हुई थी। Casino Gaming Rule, नई दिल्ली। BSNL to roll out 4G, 5G services : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल को 4G एवं 5G स्पेक्ट्रम आवंटित कर उसमें नई जान डालने के लिए 89,047 करोड़ रुपए के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के लिए तीसरे पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी गई। इसके तहत बीएसएनएल के लिए कुल 89,047 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। सरकार की तरफ से जारी बयान के मुताबिक इस पैकेज का इस्तेमाल बीएसएनएल को 4जी एवं 5जी स्पेक्ट्रम आवंटित करने के लिए किया जाएगा। नया पैकेज मिलने के बाद बीएसएनएल का अधिकृत पूंजी आधार 1,50,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 2,10,000 करोड़ रुपए हो जाएगा। इस पैकेज के तहत बीएसएनएल को 46,338.6 करोड़ रुपए मूल्य का 700 मेगाहर्ट्ज बैंड स्पेक्ट्रम, 26,184.2 करोड़ रुपये मूल्य का 3300 मेगाहर्ट्ज बैंड, 6,564.93 करोड़ रुपये मूल्य का 26 गीगाहर्ट्ज बैंड और 9,428.2 करोड़ रुपए मूल्य का 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाएगा। इसके अलावा विभिन्न मद में 531.89 करोड़ रुपये भी आवंटित किए गए हैं। इस पैकेज के जरिए बीएसएनएल को 4जी एवं 5जी स्पेक्ट्रम से लैस कर दूरसंचार क्षेत्र की कड़ी प्रतिस्पर्द्धा के लायक बनाने की कोशिश की जा रही है। पैकेज मिलने के बाद बीएसएनएल देशभर में 4जी एवं 5जी सेवाओं की पेशकश कर पाएगी। तेज गति वाली दूरसंचार सेवाओं तक पहुंच नहीं होने से बीएसएनएल को अपना ग्राहक आधार गंवाना पड़ रहा था। मुश्किलों से घिरी सार्वजनिक दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल में नई जान फूंकने के लिए सरकार की तरफ से पहले भी राहत पैकेज दिए जा चुके हैं। पहला पुनरुद्धार पैकेज वर्ष 2019 में बीएसएनएल और एमटीएनएल को संयुक्त रूप से 69,000 करोड़ रुपये का दिया गया था। दूसरे पैकेज की घोषणा वर्ष 2022 में की गई थी जिसके तहत 1.64 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। पिछले दोनों पैकेज के तहत मिली वित्तीय मदद ने बीएसएनएल को अपना बहीखाता दुरुस्त करने और समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बकाये का भुगतान करने और ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा विस्तार में मदद मिली थी। इसका नतीजा यह हुआ कि बीएसएनएल का कुल कर्ज 32,944 करोड़ रुपये से घटकर 22,289 करोड़ रुपये पर आ चुका है। भाषा
7. क्या है गुंडीचा मार्जन परंपरा? तीनों रथों को मोटी रस्सियों से खींचकर 4 किलोमीटर दूर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है। रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से निकलकर गुंडीजा मंदिर पहुंचती है। गुंडीचा मार्जन परंपरा के अनुसार रथ यात्रा से एक दिन पहले श्रद्धालुओं के द्वारा गुंडीचा मंदिर को शुद्ध जल से धोकर साफ किया जाता है। इस परंपरा को गुंडीचा मार्जन कहा जाता है। यात्रा की शुरुआत सबसे पहले बलभद्र जी के रथ से होती है। उनका रथ तालध्वज के लिए निकलता है। इसके बाद सुभद्रा के पद्म रथ की यात्रा शुरू होती है। सबसे अंत में भक्त भगवान जगन्नाथ जी के रथ 'नंदी घोष' को बड़े-बड़े रस्सों की सहायता से खींचना शुरू करते हैं। 8. गुंडिचा मंदिर पहुंचने के बाद क्या होता है? रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुण्डिच्चा मंदिर तक पहुंचती है। जब जगन्नाथ यात्रा गुंडिचा मंदिर में पहुंचती है तब भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्र जी को विधिपूर्वक स्नान कराया जाता है और उन्हें पवित्र वस्त्र पहनाए जाते हैं। यात्रा के पांचवें दिन हेरा पंचमी का महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को खोजने आती हैं, जो अपना मंदिर छोड़कर यात्रा में निकल गए हैं। 9. क्या होता है आड़प-दर्शन? गुंडीचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा सात दिनों के लिए विश्राम करते हैं। गुंडीचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन को आड़प-दर्शन कहा जाता है। गुंडीचा मंदिर को 'गुंडीचा बाड़ी' भी कहते हैं। माना जाता है कि मां गुंडीचा भगवान जगन्नाथ की मासी हैं। यहीं पर देवताओं के इंजीनियर माने जाने वाले विश्वकर्मा जी ने भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमा का निर्माण किया था। गुंडिचा भगवान की भक्त थीं। मान्यता है कि भक्ति का सम्मान करते हुए भगवान हर साल उनसे मिलने जाते हैं। 10. क्या होती है बहुड़ा यात्रा? आषाढ़ माह की दशमी को सभी रथ पुन: मुख्य मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। रथों की वापसी की इस यात्रा की रस्म को बहुड़ा यात्रा कहते हैं। जगन्नाथ पुरी में भक्त भगवान के रथ को खींचते हुए दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुंडिचा मंदिर तक ले जाते हैं और नवें दिन वापस लाया जाता है। 11. कब लौटते हैं भगवान जगन्नाथ अपने धाम? नौवें दिन रथयात्रा पुन: भगवान के धाम आ जाती है। जगन्नाथ मंदिर वापस पहुंचने के बाद भी सभी प्रतिमाएं रथ में ही रहती हैं। देवी-देवताओं के लिए मंदिर के द्वार अगले दिन एकादशी को खोले जाते हैं, तब विधिवत स्नान करवा कर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच देव विग्रहों को पुनः प्रतिष्ठित किया जाता है। M88 Play Safe - Win Better! place your bets and win at our online casino क्या हैं ब्रेन ट्यूमर के लक्षण?
ऑस्ट्रेलिया ने आसानी के साथ 80 ओवर में 300 रन पूरे किये। दिन का खेल खत्म होने से पहले 85 ओवर ही फेंके जा सके। स्मिथ ने दिन की आखिरी गेंद पर चौका हेड के साथ 250 रन की साझेदारी पूरी की।(एजेंसी) Casino War, हाई कोर्ट की तरफ से यह तर्क दिया गया है कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के तहत सरकार नोटिफिकेशन लाने की बात कह रही है। इस कानून में कहीं नहीं लिखा कि सरकार के पास इस तरह से नोटिफिकेशन के माध्यम से कुत्तों के मांस पर रोक लगाने का हक है।
Make Your Fortune Now! M88 'जरा हटके जरा बचके' को मिल रही जबरदस्त प्रतिक्रिया से सारा बेहद खुश हैं। अभिनेत्री ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट का सहारा लेते हुए प्रशंसकों को प्यार बरसाने के लिए धन्यवाद किया और साथ ही 'जरा हटके जरा बचके' के शूटिंग के दिनों की एक थ्रोबैक फोटो भी शेयर की। अभिनेत्री ने उज्जैन शहर में फिल्म की शूटिंग के दिनों को याद करते हुए और बिहाइंड द सीन से क्लिप शेयर करते हुए लिखा, इन कार की सवारी याद आ रही है। शूटिंग के वो दिन याद आ रहे हैं। आप सभी के प्यार के लिए बहुत आभारी हूं। जरा हटके जरा बचके हो रही है। सारा अली खान के वर्क फ्रंट की बात करें तो अब वह होमी अदजानिया की 'मर्डर मुबारक', अनुराग बसु की 'मेट्रो इन..दिनों' और 'ऐ वतन मेरे वतन' में दिखाई देंगी। उत्तर प्रदेश: भारतीय जनता पार्टी के नेता ब्रह्म दत्त हत्याकांड के आरोपी संजीव जीवा की लखनऊ सिविल कोर्ट में गोली मारकर हत्या की गई। अधिक जानकारी की प्रतीक्षा है।(नोट: वीडियो में अपश्बदों का इस्तेमाल हुआ है।) pic.twitter.com/RcYZ6jDxis— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 7, 2023
खरबूजा खाने का शौक कई लोगों को होता हैं। खरबूजे (muskmelon) में मौजूद विटामिन A आपकी आंखों, त्वचा और हेयर के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। यह हमारे शरीर में हो रही पानी की कमी की पूर्ति भी करता है। Big Time Gaming Casinos, यात्रा के लिए तीन रथों के निर्माण के लिए काष्ठ का चयन बसंत पंचमी पर होता है और निर्माण कार्य वैशाख माह में अक्षया तृतीया पर प्रारंभ होता है, यानी दो माह पूर्व। रथों का निर्माण नीम की पवित्र अखंडित लकड़ी से होता है, जिसे दारु कहते हैं। रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील, कांटों और धातु का उपयोग नहीं करते हैं। रथ यात्रा में तीन रथ होती हैं। बलरामजी के रथ को 'तालध्वज' कहते हैं, जिसका रंग लाल और हरा होता है। देवी सुभद्रा के रथ को 'दर्पदलन' या पद्म रथ कहा जाता है, जो काले या नीले और लाल रंग का होता है, जबकि भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदीघोष' या 'गरुड़ध्वज' कहते हैं। इसका रंग लाल और पीला होता है। रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है। इसे उनके रंग और ऊंचाई से पहचाना जाता है। नंदीघोष रथ 45.6 फीट ऊंचा, तालध्वज रथ 45 फीट ऊंचा और दर्पदलन रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है।
सभी ऋषिगण और देवताओ ने मां और परमपिता को नमन किया और उनकी प्रदक्षिणा की और अपना अपना स्थान ग्रहण किया। किन्तु भृँगी महर्षि मां पार्वती और शिव जी को साथ देख कर थोड़े चिंतित थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो शिव जी की प्रदक्षिणा कैसे करे। बहुत विचारने के बाद भृँगी ने महादेव जी से कहा कि वे अलग खड़े हो जाए। शिवजी जानते थे भृँगी के मन की बात। वो मां पार्वती को देखने लगे। माता उनके मन की बात पढ़ ली और वो शिवजी के आधे अंग से जुड़ गई और अर्धनारीश्वर रूप में विराजमान हो गई। अब तो भृँगी और परेशान कुछ पल सोचने के बाद भृँगी ने एक राह निकाली। भवरें का रूप लेकर शिवजी के जटा की परिक्रमा की और अपने स्थान पर खड़े हो गए। माता पार्वती को भृँगी के ओछी सोच पर बहुत क्रोध आ गया। उन्होंने भृँगी से कहा तुम्हें स्त्रियों से इतना ही परहेज है तो क्यों न तुम्हारे में से स्त्री शक्ति को पृथक कर दिया जाए और मां पार्वती ने भृँगी से स्त्रीत्व को अलग कर दिया। अब भृँगी न तो जीवितों में थे न मृत थे। उन्हें अपार पीड़ा हो रही थी। वो मां पार्वती से क्षमा याचना करने लगे। तब शिवजी ने मां से भृँगी को क्षमा करने को कहा। मां पार्वती ने उन्हें क्षमा किया और बोली संसार में स्त्री शक्ति के बिना कुछ भी नहीं। बिना स्त्री के प्रकृति भी नहीं पुरुष भी नहीं। दोनों का होना अनिवार्य है और जो स्त्रियों को सम्मान नहीं देता वो जीने का अधिकारी नहीं। Yonkers Casino Table Games इस वर्ष जून के महीने में बुधवार, 7 जून को आषाढ़ मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी पड़ रही है। मान्यतानुसार इसे कृष्णपिङ्गल या कृष्णपिंगाक्ष संकष्टी चतुर्थी (Krishnapingal Sankashti Chaturthi 2023) के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी तथा अमावस्या के बाद की चतुर्थी को विनायकी के नाम से जाना जाता है। श्री गणेश विघ्नहर्ता है, अत: चतुर्थी के दिन भगवान उनका पूजन और व्रत किया जाता है। आइए जानते हैं आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी के शुभ मुहूर्त और कथा- आषाढ़ संकष्टी चतुर्थी 2023 के शुभ मुहूर्त : कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी : बुधवार, 07 जून 2023 को चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 06 जून, मंगलवार को 12.50 ए एम से (देर रात) चतुर्थी तिथि का समापन- 07 जून, 2023 को 09.50 पी एम पर। बता दें कि इस बार संकष्टी चतुर्थी का समापन 09.50 पी एम पर हो रहा है तथा तत्पश्चात पंचमी तिथि लग जाएगी। अत: चतुर्थी तिथि के दौरान कोई चंद्रोदय नहीं है। वैसे संकष्टी के दिन चंद्रोदय का समय- 10.50 पी एम पड़ रहा है। 7जून 2023, बुधवार : दिन का चौघड़िया लाभ- 05.23 ए एम से 07.07 ए एम अमृत- 07.07 ए एम से 08.51 ए एम शुभ- 10.36 ए एम से 12.20 पी एम चर- 03.49 पी एम से 05.33 पी एम लाभ- 05.33 पी एम से 07.17 पी एम रात्रि का चौघड़िया शुभ- 08.33 पी एम से 09.49 पी एम अमृत- 09.49 पी एम से 11.04 पी एम चर- 11.04 पी एम से 08 जून को 12.20 ए एम तक, लाभ- 02.51 ए एम से 08 जून को 04.07 ए एम तक। आषाढ़ चतुर्थी व्रत कथा-Ashadh Chaturthi Vrat Katha आषाढ़ मास की चतुर्थी व्रत की कथा के अनुसार द्वापर युग में महिष्मति नगरी का महीजित नामक राजा था। वह बड़ा ही पुण्यशील और प्रतापी राजा था। वह अपनी प्रजा का पालन पुत्रवत करता था। किन्तु संतानविहीन होने के कारण उसे राजमहल का वैभव अच्छा नहीं लगता था। वेदों में निसंतान का जीवन व्यर्थ माना गया हैं। यदि संतानविहीन व्यक्ति अपने पितरों को जल दान देता हैं तो उसके पितृगण उस जल को गरम जल के रूप में ग्रहण करते हैं। इसी उहापोह में राजा का बहुत समय व्यतीत हो गया। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए बहुत से दान, यज्ञ आदि कार्य किए। फिर भी राज को पुत्रोत्पत्ति न हुई। जवानी ढल गई और बुढ़ापा आ गया किंतु वंश वृद्धि न हुई। तदनंतर राजा ने विद्वान ब्राह्मणों और प्रजाजनों से इस संदर्भ में परामर्श किया। राजा ने कहा कि हे ब्राह्मणों तथा प्रजाजनों! हम तो संतानहीन हो गए, अब मेरी क्या गति होगी? मैंने जीवन में तो किंचित भी पाप कर्म नहीं किया। मैंने कभी अत्याचार द्वारा धन संग्रह नहीं किया। मैंने तो सदैव प्रजा का पुत्रवत पालन किया तथा धर्माचरण द्वारा ही पृथ्वी शासन किया। मैंने चोर-डाकुओं को दंडित किया। इष्ट मित्रों के भोजन की व्यवस्था की, गौ, ब्राह्मणों का हित चिंतन करते हुए शिष्ट पुरुषों का आदर सत्कार किया। फिर भी मुझे अब तक पुत्र न होने का क्या कारण हैं? विद्वान् ब्राह्मणों ने कहा कि, हे महाराज! हम लोग वैसा ही प्रयत्न करेंगे जिससे आपके वंश कि वृद्धि हो। इस प्रकार कहकर सब लोग युक्ति सोचने लगे। सारी प्रजा राजा के मनोरथ की सिद्धि के लिए ब्राह्मणों के साथ वन में चली गई। वन में उन लोगों को एक श्रेष्ठ मुनि के दर्शन हुए। वे मुनिराज निराहार रहकर तपस्या में लीन थे। ब्रह्माजी के सामान वे आत्मजित, क्रोधजित तथा सनातन पुरुष थे। संपूर्ण वेद-विशारद एवं अनेक ब्रह्म ज्ञान संपन्न वे महात्मा थे। उनका निर्मल नाम लोमश ऋषि था। प्रत्येक कल्पांत में उनके एक-एक रोम पतित होते थे। इसलिए उनका नाम लोमश ऋषि पड़ गया। ऐसे त्रिकालदर्शी महर्षि लोमेश के उन लोगों ने दर्शन किए। सब लोग उन तेजस्वी मुनि के पास गए। उचित अभ्यर्थना एवं प्रणामदि के अनंतर सभी लोग उनके समक्ष खड़े हो गए। मुनि के दर्शन से सभी लोग प्रसन्न होकर परस्पर कहने लगे कि हम लोगों को सौभाग्य से ही ऐसे मुनि के दर्शन हुए। इनके उपदेश से हम सभी का मंगल होगा, ऐसा निश्चय कर उन लोगों ने मुनिराज से कहा। हे ब्रह्मऋषि! हम लोगों के दुःख का कारण सुनिए। अपने संदेह के निवारण के लिए हम लोग आपके पास आए हैं। हे भगवन! आप कोई उपाय बतलाइए। महर्षि लोमेश ने पूछा-सज्जनों! आप लोग यहां किस अभिप्राय से आए हैं? मुझसे आपका क्या प्रयोजन हैं? स्पष्ट रूप से कहिए। मैं आपके सभी संदेहों का निवारण करूंगा। प्रजाजनों ने उत्तर दिया- हे मुनिवर! हम महिष्मति नगरी के निवासी हैं। हमारे राजा का नाम महीजित है। वह राजा ब्राह्मणों का रक्षक, धर्मात्मा, दानवीर, शूरवीर एवं मधुरभाषी है। उस राजा ने हम लोगों का पालन पोषण किया है, परंतु ऐसे राज को आज तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई। हे भगवान्! माता-पिता तो केवल जन्मदाता ही होते हैं, किंतु राज ही वास्तव में पोषक एवं संवर्धक होता हैं। उसी राजा के निमित हम लोग ऐसे गहन वन में आए है। हे महर्षि! आप कोई ऐसी युक्ति बताइए जिससे राजा को संतान की प्राप्ति हो, क्योंकि ऐसे गुणवान राजा को कोई पुत्र न हो, यह बड़े दुर्भाग्य की बात हैं। हम लोग परस्पर विचार-विमर्श करके इस गंभीर वन में आए हैं। उनके सौभाग्य से ही हम लोगों ने आपका दर्शन किया हैं। हे मुनिवर! किस व्रत, दान, पूजन आदि अनुष्ठान कराने से राजा को पुत्र होगा। आप कृपा करके हम सभी को बतलाएं। प्रजा की बात सुनकर महर्षि लोमेश ने कहा- हे भक्तजनो! आप लोग ध्यानपूर्वक सुनो। मैं संकटनाशन व्रत को बता रहा हूं। यह व्रत निसंतान को संतान और निर्धनों को धन देता हैं। आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को एकदंत गजानन नामक गणेश की पूजा करें। राजा व्रत करके श्रद्धायुक्त हो ब्राह्मण भोज करवाकर उन्हें वस्त्र दान करें। गणेश जी की कृपा से उन्हें अवश्य ही पुत्र की प्राप्ति होगी। महर्षि लोमश की यह बात सुनकर सभी लोग करबद्ध होकर उठ खड़े हुए। नतमस्तक होकर दंडवत प्रणाम करके सभी लोग नगर में लौट आए। वन में घटित सभी घटनाओं को प्रजाजनों ने राजा से बताया। प्रजाजनों की बात सुनकर राज बहुत ही प्रसन्न हुए और उन्होंने श्रद्धापूर्वक विधिवत गणेश चतुर्थी का व्रत करके ब्राह्मणों को भोजन वस्त्रादि का दान दिया। रानी सुदक्षिणा को श्री गणेश जी कृपा से सुंदर और सुलक्षण पुत्र प्राप्त हुआ। श्रीकृष्ण जी कहते हैं इस व्रत का ऐसा ही प्रभाव हैं। अत: जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करेंगे वे समस्त सांसारिक सुख के अधिकारी होंगे तथा उनका घर हमेशा खुशियों से भरापूरा रहेगा।