(M88) - Casino Games To Play Anything can happen when you play, Free Online Las Vegas Casino Slot Games strike it rich at the online casino. sara watched movie with family: बॉलीवुड एक्टर विक्की कौशल और सारा अली खान की फिल्म 'जरा हटके जरा बचके' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म को दशर्कों का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है। फिल्म में जहां सारा के किरदार सौम्या को दर्शकों द्वारा खूब तारीफ मिली, वहीं फिल्म ने एक अच्छी शुरूआत के साथ रविवार को 9 करोड़ रुपये की कमाई की, जिसने वीकेंड पर बॉक्स ऑफिस पर 21.60 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया।
तुम रास्ता हो और मैं मासूम मुसाफिर तुम्हारा Casino Games To Play, विशेषज्ञ मानते हैं बाघ-तेंदुए के शहरी आबादी की तरफ आने के कारणों को कुछ रिसर्च और भी पुख्ता करती है। दरअसल जंगल में शोर इतना ज्यादा बढ़ता जा रहा है कि वन्यजीवों को बेहद परेशानी हो रही है। पिछले दिनों दिल्ली स्थित सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट के सर्वे में सामने आया था कि इंसानों की तेजी से बढ़ती आबादी जंगली जानवरों के लिए खतरा साबित हो रही है। इस सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि रोजाना जंगलों में 1.10 करोड़ लोग लकड़ी काटने या अन्य कार्यों से जाते हैं। करीब 7 से 8 करोड़ जानवर चरने के लिए जंगलों में जा रहे हैं। पिकनिक और जंगल सफारी के लिए में भी बड़ी संख्या में लोग जंगल में जा रहे हैं। जंगलों से सटी सड़कों और पगडंडियों पर चहलकदमी, दौड़ लगाने और एक्सरसाइज करने वालों की संख्या और उनका शोर वन्य जीवों के जीवन पर असर डाल रहा है। खासतौर से अतिक्रमण, शहरीकरण, तरह-तरह की परियोजनाओं का विकास, खनन गतिविधियां भी बाघों के जंगल से पलायन के कारण हैं।
Sankat Chaturthi Vrat 2023: प्रत्येक माह में दो चतुर्थी होती है। कृष्ण पक्ष में संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में विनायकी चतुर्थी। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी संकष्टी चतुर्थी में शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। यह खला तिथि 'रिक्ता संज्ञक' कहलाती है। इसमें व्रत ही कर सकते हैं। आओ जानते हैं कि क्यों करते हैं संकष्टी चतुर्थी का व्रत और क्या मिलेगा इसका फल। संकष्टी चतुर्थी का व्रत क्यों करते हैं | Why do we fast on Sankashti Chaturthi? पूरे साल में संकष्टी चतुर्थी के 13 व्रत रखे जाते हैं। सभी व्रत के लिए एक अलग व्रत कथा है। चतुर्थी (चौथ) के देवता हैं शिवपुत्र गणेश। इस तिथि में भगवान गणेश का पूजन से सभी विघ्नों का नाश हो जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने के फायदे क्या है | What are the benefits of fasting on Sankashti Chaturthi?? M88 Put your Luck to the Test at the Online Casino! strike it rich at the online casino क्यों बाहर आते हैं बाघ? जंगलों के पानी में बढ़ता खारापन वैश्विक तापमान की वजह से एक दशक पानी में 15% खारापन बढ़ा है (सुंदरबन टाइगर रिजर्व में) शिकार की जगह घटना और पसंदीदा भोजन नहीं मिलना भोजन की तलाश में इंसानी बस्तियों में आना बूढ़ा होने पर जंगल में शिकार नहीं मिलना जंगलों में इंसानों की बढ़ती गतिविधियां 40 प्रतिशत टाइगर पार्क के बाहर
मध्यप्रदेश के दमोह में स्कूल में धर्मांतरण की खबरों के बीच ऑनलाइन गेमिंग के जरिए धर्मांतरण के खेल का खुलासा हुआ है। गाजियाबाद पुलिस ने धर्मांतरण गिरोह के मास्टरमाइंड को मुंबई से गिरफ्तार किया है। इस गिरोह की विदेशी फंडिंग के एंगल से भी जांच की जा रही है. इसके साथ ही पुलिस को शक है कि ये गिरोह भारत के साथ दूसरे देशों के नाबालिगों को भी अपना शिकार बना सकता है। Baccarat, ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस को दो महीने तक टी20 क्रिकेट खेल कर इंग्लैंड पहुंचने की जगह भारत के खिलाफ विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल के लिए थोड़ा कम अभ्यास के साथ पहुंचने से कोई परहेज नहीं है। ऑस्ट्रेलिया के कैमरून ग्रीन और डेविड वार्नर आईपीएल में खेल रहे थे जबकि मार्नस लाबुशेन काउंटी क्रिकेट में खेल रहे थे। इन तीनों के अलावा टीम के ज्यादातर खिलाड़ी लंबे समय के बाद प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलेंगे।
Play Smart and Win Big at the Online M88 कथा पढ़ें विस्तार से जब भी भगवान शिव के गणों की बात होती है तो उनमें नंदी, भृंगी, श्रृंगी इत्यादि का वर्णन आता ही है। भृंगी शिव के महान गण और तपस्वी हैं। भृंगी को तीन पैरों वाला गण कहा गया है। कवि तुलसीदास जी ने भगवान शिव का वर्णन करते हुए भृंगी के बारे में लिखा है - बिनुपद होए कोई। बहुपद बाहु।। अर्थात: शिवगणों में कोई बिना पैरों के तो कोई कई पैरों वाले थे। यहां कई पैरों वाले से तुलसीदास जी का अर्थ भृंगी से ही है। पुराणों में उन्हें एक महान ऋषि के रूप में दर्शाया गया है जिनके तीन पांव हैं। शिवपुराण में भी भृंगी को शिवगण से पहले एक ऋषि और भगवान शिव के अनन्य भक्त के रूप में दर्शाया गया है। भृंगी को पुराणों में अपने धुन का पक्का बताया गया है। भगवान शिव में उनकी लगन इतनी अधिक थी कि अपनी उस भक्ति में उन्होंने स्वयं शिव-पार्वती से भी आगे निकलने का प्रयास कर डाला। भृंगी का निवास स्थान पहले पृथ्वी पर बताया जाता था। उन्होंने भी नंदी की भांति भगवान शिव की घोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उसे दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। तब भृंगी ने उनसे वर माँगा कि वे जब भी चाहें उन्हें महादेव का सानिध्य प्राप्त हो सके। ऐसा सुनकर महादेव ने उसे वरदान दिया कि वो जब भी चाहे कैलाश पर आ सकते हैं। उस वरदान को पाने के बाद भृंगी ने कैलाश को ही अपना निवास स्थान बना लिया और वही भगवान शिव के सानिध्य में रहकर उनकी आराधना करने लगा। भृंगी की भक्ति भगवान शिव में इतनी थी कि उनके समक्ष उन्हें कुछ दिखता ही नहीं था। भृंगी केवल शिव की ही पूजा किया करते थे और माता पार्वती की पूजा नहीं करते थे। नंदी अदि शिवगणों ने उन्हें कई बार समझाया कि केवल शिवजी की पूजा नहीं करनी चाहिए किन्तु उनकी भक्ति में डूबे भृंगी को ये बात समझ में नहीं आयी। भृंगी केवल भगवान शिव की परिक्रमा करना चाहते थे किन्तु आधी परिक्रमा करने के बाद वे रुक गए, भृंगी ने माता से अनुरोध किया कि वे कुछ समय के लिए महादेव से अलग हो जाएँ ताकि वे अपनी परिक्रमा पूरी कर सके। अब माता ने हँसते हुए कहा कि ये मेरे पति हैं और मैं किसी भी स्थिति में इनसे अलग नहीं हो सकती। भृंगी ने उनसे बहुत अनुरोध किया किन्तु माता हटने को तैयार नहीं हुई। भृंगी अपने हठ पर अड़े थे। महादेव ने तत्काल महादेवी को स्वयं में विलीन कर लिया। उनका ये रूप ही प्रसिद्ध अर्धनारीश्वर रूप कहलाया जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ था। उनका ये रूप देखने के लिए देवता तो देवता, स्वयं भगवान ब्रह्मा और नारायण वहां उपस्थित हो गए। भृंगी ने कीड़े का रूप धर कर महादेव के सिर पर परिक्रमा करना चाही तब माता पार्वती ने उन्हें शाप देकर उनके भीतर के स्त्री रूप को छिन्न भिन्न कर दिया। दयनीय स्थिति में आने के बाद माता पार्वती से क्षमा याचना की दोनों की पूजा और परिक्रमा की। तब महादेव के अनुरोध पर माता पार्वती अपना श्राप वापस लेने को तैयार हुए किन्तु भृंगी ने माता को ऐसा करने से रोक दिया। भृंगी ने कहा कि - हे माता! आप कृपया मुझे ऐसा ही रहने दें ताकि मुझे देख कर पूरे विश्व को ये ज्ञान होता रहे कि कि शिव और शक्ति एक ही है और नारी के बिना पुरुष पूर्ण नहीं हो सकता। उसकी इस बात से दोनों बड़े प्रसन्न हुए और महादेव ने उसे वरदान दिया कि वो सदैव उनके साथ ही रहेगा। साथ ही भगवान शिव ने कहा कि चूँकि भृंगी उनकी आधी परिक्रमा ही कर पाया था इसीलिए आज से उनकी आधी परिक्रमा का ही विधान होगा। यही कारण है कि महादेव ही केवल ऐसे हैं जिनकी आधी परिक्रमा की जाती है। भृंगी चलने चलने फिरने में समर्थ हो सके इसीलिए भगवान शिव ने उसे तीसरा पैर भी प्रदान किया जिससे वो अपना भार संभाल कर शिव-पार्वती के साथ चलते हैं। शिव का अर्धनारीश्वर रूप विश्व को ये शिक्षा प्रदान करता है कि पुरुष और स्त्री एक दूसरे के पूरक हैं। शक्ति के बिना तो शिव भी शव के समान हैं। अर्धनारीश्वर रूप में माता पार्वती का वाम अंग में होना ये दर्शाता है कि पुरुष और स्त्री में स्त्री सदैव पुरुष से पहले आती है और इसी कारण माता का महत्त्व पिता से अधिक बताया गया है। - शीतला अष्टमी के दिन अलसुबह जल्दी उठकर माता शीतला का ध्यान करें। - इस दिन व्रती को प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए। - स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेना चाहिए- 'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये' - संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें। - इस दिन महिलाएं मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर पूजा करती हैं। - पूजन का मंत्र- 'हृं श्रीं शीतलायै नम:' का निरंतर उच्चारण करें। - माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर भी डालें। - इसके पश्चात ठंडे भोजन का भोग मां शीतला को अर्पित करें। - तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ करें और कथा सुनें। - रोगों को दूर करने वाली मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट पूजन भी भी करना चाहिए। - शीतला माता की कथा पढ़ें तथा मंत्र- 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नम:' का जाप करें। - जो जल चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद जो जल बहता है, उसमें से थोड़ा जल लोटे में डाल लें। यह जल पवित्र होता है। इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं। - पूजन के पश्चात थोड़ा जल घर लाकर हर हिस्से में छिड़कने से घर की शुद्धि होती है। - शीतला सप्तमी या अष्टमी व्रत का पालन जिस घर में किया जाता है, वहां सुख, शांति हमेशा बनी रहती है तथा रोगों से निजात भी मिलती है। मंत्र (रोग दूर करने का)- 'वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्, मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्।' अर्थात्- मैं गर्दभ पर विराजमान, दिगंबरा, हाथ में झाडू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की वंदना करता/करती हूं। शीतलाष्टमी कथा : Shitala Mata Katha शीतला माता की कथा के अनुसार एक बार एक राजा के इकलौते पुत्र को शीतला (चेचक) निकली। उसी के राज्य में एक काछी-पुत्र को भी शीतला निकली हुई थी। काछी परिवार बहुत गरीब था, पर भगवती का उपासक था। वह धार्मिक दृष्टि से जरूरी समझे जाने वाले सभी नियमों को बीमारी के दौरान भी भली-भांति निभाता रहा। घर में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता था। नियम से भगवती की पूजा होती थी। नमक खाने पर पाबंदी थी। सब्जी में न तो छौंक लगता था और न कोई वस्तु भुनी-तली जाती थी। गरम वस्तु न वह स्वयं खाता, न शीतला वाले लड़के को देता था। ऐसा करने से उसका पुत्र शीघ्र ही ठीक हो गया। उधर जब से राजा के लड़के को शीतला का प्रकोप हुआ था, तब से उसने भगवती के मंडप में शतचंडी का पाठ शुरू करवा रखा था। रोज हवन व बलिदान होते थे। राजपुरोहित भी सदा भगवती के पूजन में निमग्न रहते। राजमहल में रोज कड़ाही चढ़ती, विविध प्रकार के गर्म स्वादिष्ट भोजन बनते। सब्जी के साथ कई प्रकार के मांस भी पकते थे। इसका परिणाम यह होता कि उन लजीज भोजनों की गंध से राजकुमार का मन मचल उठता। वह भोजन के लिए जिद करता। एक तो राजपुत्र और दूसरे इकलौता, इस कारण उसकी अनुचित जिद भी पूरी कर दी जाती। इस पर शीतला का कोप घटने के बजाय बढ़ने लगा। शीतला के साथ-साथ उसे बड़े-बड़े फोड़े भी निकलने लगे, जिनमें खुजली व जलन अधिक होती थी। शीतला की शांति के लिए राजा जितने भी उपाय करता, शीतला का प्रकोप उतना ही बढ़ता जाता। क्योंकि अज्ञानतावश राजा के यहां सभी कार्य उलटे हो रहे थे। इससे राजा और अधिक परेशान हो उठा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि इतना सब होने के बाद भी शीतला का प्रकोप शांत क्यों नहीं हो रहा है। एक दिन राजा के गुप्तचरों ने उन्हें बताया कि काछी-पुत्र को भी शीतला निकली थी, पर वह बिलकुल ठीक हो गया है। यह जानकर राजा सोच में पड़ गया कि मैं शीतला की इतनी सेवा कर रहा हूं, पूजा व अनुष्ठान में कोई कमी नहीं, पर मेरा पुत्र अधिक रोगी होता जा रहा है जबकि काछी पुत्र बिना सेवा-पूजा के ही ठीक हो गया। इसी सोच में उसे नींद आ गई। श्वेत वस्त्र धारिणी भगवती ने उसे स्वप्न में दर्शन देकर कहा- 'हे राजन्! मैं तुम्हारी सेवा-अर्चना से प्रसन्न हूं। इसीलिए आज भी तुम्हारा पुत्र जीवित है। इसके ठीक न होने का कारण यह है कि तुमने शीतला के समय पालन करने योग्य नियमों का उल्लंघन किया। तुम्हें ऐसी हालत में नमक का प्रयोग बंद करना चाहिए। नमक से रोगी के फोड़ों में खुजली होती है। घर की सब्जियों में छौंक नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इसकी गंध से रोगी का मन उन वस्तुओं को खाने के लिए ललचाता है। रोगी का किसी के पास आना-जाना मना है क्योंकि यह रोग औरों को भी होने का भय रहता है। अतः इन नियमों का पालन कर, तेरा पुत्र अवश्य ही ठीक हो जाएगा।' विधि समझाकर देवी अंतर्ध्यान हो गईं। प्रातः से ही राजा ने देवी की आज्ञानुसार सभी कार्यों की व्यवस्था कर दी। इससे राजकुमार की सेहत पर अनुकूल प्रभाव पड़ा और वह शीघ्र ही ठीक हो गया। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण और माता देवकी का विधिवत पूजन करके मध्यकाल में सात्विक पदार्थों का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य ही नहीं मिलता बल्कि समस्त दुखों का भी निवारण होता है। ऐसा सप्तमी-अष्टमी तिथि शीतला माता के पूजन का विधान है।
जातीय वोट बैंक को साधने की कवायद-चुनावी साल में जातीय वोट बैंक को साधने के लिए मुख्मयंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार छुट्टियों का एलान कर रहे है। चुनाव में वोट बैंक के नजरिए से जिस समाज का जितना वजन होता है उसको उतना ही महत्व सरकार की तरफ से दिया जाता है। अगर समाज का वोट बैंक भारी है तो उस समाज के लिए सरकारी खजाना खोलने के साथ समाज के महापुरुषों की जयंती पर सरकारी अवकाश और अगर समाज की भागीदारी कम तो समाज के महापुरुष की जयंती पर ऐच्छिक अवकाश की घोषणा की जाती है। Free Online Las Vegas Casino Slot Games, सनी और डिम्पल की नजदीकियों की काफी चर्चा रही। दोनों ने अपने इस रिश्ते को कभी भी सार्वजनिक रूप से नहीं स्वीकारा। 28
Yoga for hair growth webdunia : बालों की समस्या अब आम हो चली है। इसका कारण शहर का प्रदूषण, धूल, धुवां और दूषित भोजन-पानी। हालांकि बाल झड़ने का एक और कारण है- तनाव और अन्य मानसिक परेशानियां। बाल झड़े नहीं, काले और घने बने रहे इसके लिए कौन से योगासन करना चाहिए? रखें ये सावधानियां:- New Zealand Casino Games सनी देओल और जैकी श्रॉफ के साथ डिम्पल की जोड़ी को खासा पसंद किया गया। 27