Hindi Story For Kids
हे दोस्तों hindiprogyan.com में स्वागत है। इस पोस्ट में Hindi story for kids शेयर करूँगा जैसे छोटे बच्चे पढ़के आनन्द मिले और कुछ ज्ञान भी मिले । Kids Short story का नाम चतुर बिल्ली ,गोपी लौट आया, गोटू और मोटू,गल्लू सियार का लालच, गरम जामुन, और चाँद फूट गया, ईमानदारी की जीत, ईमानदारी ,अनोखी तरकीब- इस काहानी पढ़ते रहे।

( Story for kids,Moral stories for childrens in hindi,Story in hindi for class-4,Story for childrens in hindi,Hindi Story For Child,Short Story For Children,Hindi Kahaniya for Children)
चतुर बिल्ली-Hindi Story For Kids
चतुर बिल्ली एक चिड़ा पेड़ पर घोंसला बनाकर मजे से रहता था। एक दिन वह दाना पानी के चक्कर में अच्छी फसल वाले खेत में पहुँच गया। वहाँ खाने पीने की मौज से बड़ा ही खुश हुआ। उस खुशी में रात को वह घर आना भी भूल गया और उसके दिन मजे में वही बीतने लगे।
इधर शाम को एक खरगोश उस पेड़ के पास आया जहाँ चिड्डे का घोंसला था। पेड़ जरा भी ऊँचा नहीं था। इसलिए खरगोश ने उस घोंसलें में झाँक कर देखा तो पता चला कि यह घोंसला खाली पड़ा है। घोंसला अच्छा खासा बड़ा था इतना कि वह उसमें खरगोश आराम से रह सकता था। उसे यह बना बनाया घोंसला पसन्द आ गया और उसने यहीं रहने का फैसला कर लिया।
कुछ दिनों बाद वह चिड्डा खा खा कर मोटा ताजा बन कर अपने घोंसलें की याद आने पर वापस लौटा। उसने देखा कि घोंसलें में खरगोश आराम से बैठा हुआ है। उसे बड़ा गुस्सा आया, उसने खरगोश से कहा, “चोर कहीं का, मैं नहीं था तो मेरे घर में घुस गये हो? चलो निकलो मेरे घर से, जरा भी शरम नहीं आयी मेरे घर में रहते हुए?”
खरगोश शान्ति से जवाब देने लगा, “कहाँ का तुम्हारा घर? कौन सा तुम्हारा घर? यह तो मेरा घर है। पागल हो गये हो तुम। अरे! कुआँ, तालाब या पेड़ एक बार छोड़कर कोई जाता हैं तो अपना हक भी गवाँ देता हैं। यहाँ तो जब तक हम हैं, वह अपना घर है। बाद में तो उसमें कोई भी रह सकता है। अब यह घर मेरा है। बेकार में मुझे तंग मत करो।”
यह बात सुनकर चिड्डा कहने लगा, ” ऐसे बहस करने से कुछ हासिल नहीं होनेवाला। किसी धर्मपण्डित के पास चलते हैं। वह जिसके हक में फैसला सुनायेगा उसे घर मिल जायेगा। Read more
गोपी लौट आया-Moral Stories for Childrens
जब स्कूल से घर आकर गोपी ने अपना बैग फर्श पर फेंका तो उस में से कुछ फटी हुई कापियाँ और पुस्तकें बाहर निकल कर बिखर गई।
उसकी माताजी, जो पहले ही किसी कारण निराश-सी बैठी थीं, ने जब यह देखा तो उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने एकदम उसके गाल पर थप्पड़ जड़ दिया और बोली, ‘मॉडल स्कूल में पढते हो। वहाँ यही सब सिखाते हैं क्या? कितने दिन से देख रही हूँ। कभी बैग फेंक देते हो, कभी मोज़े और जूते निकालकर इधरउधर मारते हो।
सुबह से शाम तक जी तोड़ कर काम करती हूँ। फिर कहीं जाकर मुश्किल से हजार रूपया महीना मिलता है। पता है, कैसे पढ़ा रही हूँ तुझे? देखो तो सही, क्या हालत बनाई हुई कॉपी-किताबों की। शर्म नहीं आती क्या?’
गोपी की ऐसी आदतों से उसकी माताजी बहुत परेशान थीं। गोपी के पिताजी की एक हादसे में मृत्यु हो गई थी। घर का गुजारा बड़ी मुश्किल से चल रहा था। उसकी माताजी को यह चिंता भी रहती थी कि गोपी पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं लेता।
उधर गोपी को अपनी माँ पर गुस्सा आ रहा था। पलंग पर पड़ा वह रोता रहा। कुछ सोच रहा था। अचानक उसके दिमाग में एक विचार कौंधा, ‘क्यों न मैं पास वाले शहर में अपने दोस्त हैपी के पास चला जाऊँ। माताजी ढूँढेंगी तो परेशान तो होंगी।’
बस, फिर क्या था। वह माँ के घर से निकलने का इंतजार करने लगा और जैसे ही वे पड़ोस में किसी काम से गई, वह चुपके से घर से बाहर निकल लिया और बड़-बड़े कदम भरता हुआ चलने लगा। चलने से पहले उसने माँ के पर्स से बीस रूपये का एक नोट भी निकाल लिया।
कुछ देर बाद गोपी की माताजी घर आ गई। जब उन्हें गोपी कहीं नजर नहीं आया तो वे उसे ढंूढने लगीं। फिर उन्होंने सोचा कि वह अपने किसी दोस्त के पास गया होगा, थोड़ी देर में आ जाएगा। Read More
गोटू और मोटू-Hindi Kahani for kids
गोटू और मोटू जोकर डंबो सर्कस में काम करते थे। वे दोनों अच्छे मित्र थे। गोटू बहुत लंबा और पतला था, जबकि मोटू छोटा व मोटा था।
एक दिन गोटू और मोटू सर्कस में करतब दिखा रहे थे। गोटू हवा में साबुन के बुलबुलों को पकड़ने की कोशिश कर रहा था। यह देख कर बच्चे हँसते हुए तालियाँ बजाने लगे।
उसी समय अचानक गोटू ने थोड़ासा साबुन वाला पानी जमीन पर उड़ेल दिया। फिर जैसे ही मोटू बुलबुले को पकड़ने के लिए ऊपर की ओर कूदा, फिसल कर नीचे गिर गया।
मोटू दर्द के कारण जोरजोर से चिल्लाने लगा, “हाय, मैं मर गया।”
गोटू और सर्कस देखने वाले बच्चों ने सोचा कि यह उसका दूसरा करतब है। इसलिए वे जोर जोर से हँसने लगे।
लेकिन मोटू को बहुत चोट आई थी। वह इस कारण भी दुखी था कि गोटू उस पर हँस रहा है। तभी उसने गोटू को सबक सिखाने का निश्चय किया।
‘शो’ के बाद उस रात जैसे ही सब लोग रात के खाने के लिए इकठ्ठे हुए, मोटू के दिमाग में एक विचार आया। उसने गोटू की प्लेट से २ पूड़ियाँ चुरा कर अपनी जेब में रख लीं। लेकिन गोटू को इस बात का पता न चला।
अगले दिन जब गोटू चमकीले लाल कपड़ों में शो के लिए तैयार हो रहा था, तभी मोटू ने उस की कमीज के पीछे पूडियों को लटका दिया। फिर उसने गोटू से कहा, “जल्दी करो, शो के लिए तुम्हें देर हो रही है।”
गोटू जल्दी से अपनी कैप पहन कर तंबू से बाहर आया तो ३-४ कुत्तों ने उसके पीछे चलना शुरू कर दिया। गोटू हड़बड़ाता हुआ शो के लिए चल दिया। साथ ही कुत्ते भी भौंकते हुए उसके पीछे-पीछे चलने लगे। मोटू कोने में खड़ा हँस रहा था। तभी सर्कस मैनेजर ने उन दोनों को आवाज दी, “गोटू मोटू तुम जल्दी से रिंग में जाओ।”
गोटू ने सर्कस कर्मचारियों की सहायता से कुत्तों से पीछा छुड़ाया और रिंग में पहुँचा। जब बच्चों ने गोटू की कमीज पर पूड़ियाँ लटकी देखीं तो उन्होंने सोचा कि यह भी उस के करतब का ही अगला भाग है। फिर एक पालतू कुत्ते ने पूड़ियों को सूँघ कर गुर्राना शुरू कर दिया।
लेकिन गोटू ने अपना खेल जारी रखा। उसने हवा में बुलबुले उड़ाने का करतब शुरू किया। मोटू बुलबुलों को पकड़ने के लिए कूदने लगा। तभी एकलंबा सा बुलबुला गोटू की कैप पर जा कर बैठ गया। Read More
गल्लू सियार का लालच-Story in hindi
मल्लू और गल्लू सियार भाई-भाई थे। मल्लू सीधा-सादा और भोला था। वह बड़ा ही नेकदिल और दयावान था। दूसरी ओर गल्लू एक नम्बर का धूर्त और चालबाज सियार था। वह किसी भी भोले-भाले जानवर को अपनी चालाकी से बहलाकर उसका काम तमाम कर देता था।
एक दिन गल्लू सियार जंगल में घूम रहा था कि उसे रास्ते में एक चादर मिली। जाड़े के दिन नज़दीक थे इसीलिए उसने चादर को उठाकर रख लिया। उसके बाद वह घर की ओर चल दिया।
अगले दिन गल्लू सियार मल्लू के घर गया। ठण्ड की वजह से दरवाजा खोला लेकिन जैसे ही गल्लू अन्दर जाने लगा, तो मल्लू ने दरवाजा बन्द कर लिया। गल्लू को अपने भाई की यह हरकत बहुत बुरी लगी। उसे अपने भाई पर बड़ा क्रोध आया।
भाई के घर से आने के बाद गल्लू नहाने के लिए नदी पर गया। उसको देखकर बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि आज सारे मोटे-मोटे जानवर बड़े बेफिक्र होकर बिना किसी डर के उसके पास से गुजर रहे थे। उसके पानी में घुसने से पहले जैसे ही चादर को उतारा, उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। सारे छोटे-मोटे जानवर अपनी-अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। चारों ओर हाहाकार मच गया। गल्लू को लगा कि जरूर इस चादर का चमत्कार है। उसके मन में विचार आया कि कहीं यह जादुई तो नहीं। जिसको ओढ़ते ही वह अदृश्य हो जाता हो। तभी उसे याद आया कि मल्लू ने भी दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनकर दरवाजा खोला और एकाएक बन्द भी कर लिया, मानो दरवाजे पर कोई हो ही नहीं।
अब उसका शक यकीन में बदल गया और उसे मल्लू पर किसी तरह का क्रोध भी नहीं रहा। वह नहाकर जल्दी से जल्दी अपने भाई मल्लू सियार के पास पहुँचना चाहता था। अत: लम्बे डग भरता हुआ उसके घर जा पहुँचा। उसने मल्लू को वह चादर दिखाई और प्रसन्न होते हुए बोला – Read More
गरम जामुन-Hindi Story For Kids
बहुत समय पहले की बात है, सुंदरवन में श्वेतू नामक एक बूढ़ा खरगोश रहता था। वह इतनी अच्छी कविता लिखता था कि सारे जंगल के पशु्पक्षी उन्हें सुनकर दातों तले उँगली दबा लेते और विद्वान तोता तक उनका लोहा मानता था।
श्वेतू खरगोश ने शास्त्रार्थ में सुरीली कोयल और विद्वान मैना तक को हरा कर विजय प्राप्त की थी। इसी कारण जंगल का राजा शेर भी उसका आदर करता था। पूरे दरबार में उस जैसा विद्वान कोई दूसरा न था। धीरे-धीरे उसे अपनी विद्वत्ता का बड़ा घमण्ड हो गया।
एक दिन वह बड़े सवेरे खाने की तलाश में निकला। बरसात के दिन थे, काले बादलों ने घिरना शुरू ही किया था। मौसम की पहली बरसात होने ही वाली थी। सड़क के किनारे जामुनों के पेड़ काले-काले जामुनों से भरे झुके हुए थे। बड़े-बड़े, काले, रसीले जामुनों को देखकर श्वेतू के मुँह में पानी भर आया।
एक बड़े से जामुन के पेड़ के नीचे जाकर उसने आँखें उठाई और ऊपर देखा तो नन्हें तोतों का एक झुण्ड जामुन खाता दिखाई दिया। बूढ़े खरगोश ने नीचे से आवाज़ दी, “प्यारे नातियों मेरे लिये भी थोड़े से जामुन गिरा दो।”
उन नन्हें तोतों मे मिठ्ठू नाम का एक तोता बड़ा शरारती और चंचल था। वह ऊपर से ही बोला, ‘दादा जी, यह तो बताइये कि आम गरम जामुन खायेंगे या ठंडी?”
बेचारा बूढ़ा श्वेतू खरगोश हैरान होकर बोला, “भला जामुन भी कहीं गरम होते हैं? चलो मुझसे मज़ाक न करो। मुझे थोड़े से जामुन तोड़ दो।”
मिठ्ठू बोला, “अरे दादाजी, आप ठहरे इतने बड़े विद्वान। यह भी नहीं जानते कि जामुन गरम भी होते हैं और ठंडे भी। पहले आप बताइये कि आपको कैसे जामुन चाहिये? भला इसे जाने बिना मैं आपको कैसे जामुन दूँगा?” Read more
और चाँद फूट गया-Story in hindi
आशीष और रोहित के घर आपस में मिले हुए थे। रविवार के दिन वे दोनों बड़े सवेरे उठते ही बगीचे में आ पहुँचे।
“तो आज कौन सा खेल खेलें ?” रोहित ने पूछा। वह छह वर्ष का था और पहली कक्षा में पढ़ता था।
“कैरम से तो मेरा मन भर गया। क्यों न हम क्रिकेट खेलें ?” आशीष ने कहा। वह भी रोहित के साथ पढ़ता था।
“मगर उसके लिये तो ढेर सारे साथियों की ज़रूरत होगी और यहाँ हमारे तुम्हारे सिवा कोई है ही नहीं।” रोहित बोला।
वे कुछ देर तक सोचते रहे फिर आशीष ने कहा, “चलो गप्पें खेलते हैं।”
“गप्पें? भ़ला यह कैसा खेल होता है?” रोहित को कुछ भी समझ में न आया।
“देखो मैं बताता हूँ आ़शीष ने कहा, “हम एक से बढ़ कर एक मज़ेदार गप्प हाँकेंगे। ऐसी गप्पें जो कहीं से भी सच न हों। बड़ा मज़ा आता है इस खेल में। चलो मैं ही शुरू करता हूँ यह जो सामने अशोक का पेड़ है ना रात में बगीचे के तालाब की मछलियाँ इस पर लटक कर झूला झूल रही थीं। रंग बिरंगी मछलियों से यह पेड़ ऐसा जगमगा रहा था मानो लाल परी का राजमहल।”
अच्छा! रोहित ने आश्चर्य से कहा, “और मेरे बगीचे में जो यूकेलिप्टस का पेड़ है ना इ़स पर चाँद सो रहा था। चारों ओर ऐसी प्यारी रोशनी झर रही थी कि तुम्हारे अशोक के पेड़ पर झूला झूलती मछलियों ने गाना गाना शुरू कर दिया।”
“अच्छा! कौन सा गाना?” आशीष ने पूछा। “वही चंदामामा दूर के पुए पकाएँ बूर के।” रोहित ने जवाब दिया।
“अच्छा! फिर क्या हुआ?”
“फिर क्या होता, मछलियाँ इतने ज़ोर से गा रही थीं कि चाँद की नींद टूट गयी और वह धड़ाम से मेरी छत पर गिर गया।”
“फिर?”
“फिर क्या था, वह तो गिरते ही फूट गया।” Read more
ईमानदारी की जीत-Short moral stories in hindi
चारों ओर सुंदर वन में उदासी छाई हुई थी। वन को अज्ञात बीमारी ने घेर लिया था। वन के लगभग सभी जानवर इस बीमारी के कारण अपने परिवार का कोई न कोई सदस्य गवाँ चुके थे। बीमारी से मुकाबला करने के लिए सुंदर वन के राजा शेर सिंह ने एक बैठक बुलाई।
बैठक का नेतृत्व खुद शेर सिंह ने किया। बैठक में गज्जू हाथी, लंबू जिराफ, अकड़ू सांप, चिंपू बंदर, गिलू गिलहरी, कीनू खरगोश सहित सभी जंगलवासियों ने हिस्सा लिया। जब सभी जानवर इकठ्ठे हो गए, तो शेर सिंह एक ऊँचे पत्थर पर बैठ गया और जंगलवासियों को संबोधित करते हुए कहने लगा, “भाइयो, वन में बीमारी फैलने के कारण हम अपने कई साथियों को गवाँ चुके हैं।
इसलिए हमें इस बीमारी से बचने के लिए वन में एक अस्पताल खोलना चाहिए, ताकि जंगल में ही बीमार जानवरों का इलाज किया जा सके।’इस पर जंगलवासियों ने एतराज जताते हुए पूछा कि अस्पताल के लिए पैसा कहाँ से आएगा और अस्पताल में काम करने के लिए डॉक्टरों की जरूरत भी तो पड़ेगी? इस पर शेर सिंह ने कहा, यह पैसा हम सभी मिलकर इकठ्ठा करेंगे।
यह सुनकर कीनू खरगोश खड़ा हो गया और बोला, “महाराज! मेरे दो मित्र चंपकवन के अस्पताल में डॉक्टर हैं। मैं उन्हें अपने अस्पताल में ले आऊँगा।’
इस फैसले का सभी जंगलवासियों ने समर्थन किया। अगले दिन से ही गज्जू हाथी व लंबू जिराफ ने अस्पताल के लिए पैसा इकठ्ठा करना शुरू कर दिया।
जंगलवासियों की मेहनत रंग लाई और जल्दी ही वन में अस्पताल बन गया। कीनू खरगोश ने अपने दोनों डॉक्टर मित्रों वीनू खरगोश और चीनू खरगोश को अपने अस्पताल में बुला लिया।
राजा शेर सिंह ने तय किया कि अस्पताल का आधा खर्च वे स्वयं वहन करेंगे और आधा जंगलवासियों से इकठ्ठा किया जाएगा।
इस प्रकार वन में अस्पताल चलने लगा। धीरे-धीरे वन में फैली बीमारी पर काबू पा लिया गया। दोनों डॉक्टर अस्पताल में आने वाले मरीजों की पूरी सेवा करते और मरीज़ भी ठीक हो कर डाक्टरों को दुआएँ देते हुए जाते। कुछ समय तक सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा। परंतु कुछ समय के बाद चीनू खरगोश के मन में लालच बढ़ने लगा। Read More
ईमानदारी –Hindi Story for class 2 with Moral
विक्की अपने स्कूल में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह को ले कर बहुत उत्साहित था। वह भी परेड़ में हिस्सा ले रहा था।
दूसरे दिन वह एकदम सुबह जग गया लेकिन घर में अजीब सी शांति थी। वह दादी के कमरे में गया, लेकिन वह दिखाई नहीं पड़ी।
“माँ, दादीजी कहाँ हैं?” उसने पूछा।
“रात को वह बहुत बीमार हो गई थीं। तुम्हारे पिताजी उन्हें अस्पताल ले गए थे, वह अभी वहीं हैं उनकी हालत काफी खराब है।
विक्की एकाएक उदास हो गया।
उसकी माँ ने पूछा, “क्या तुम मेरे साथ दादी जी को देखने चलोगे? चार बजे मैं अस्पताल जा रही हूँ।”
विक्की अपनी दादी को बहुत प्यार करता था। उसने तुरंत कहा, “हाँ, मैं आप के साथ चलूँगा।” वह स्कूल और स्वतंत्रता दिवस के समारोह के बारे में सब कुछ भूल गया।
स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह बहुत अच्छी तरह संपन्न हो गया। लेकिन प्राचार्य खुश नहीं थे। उन्होंने ध्यान दिया कि बहुत से छात्र आज अनुपस्थित हैं।
उन्होंने दूसरे दिन सभी अध्यापकों को बुलाया और कहा, “मुझे उन विद्यार्थियों के नामों की सूची चाहिए जो समारोह के दिन अनुपस्थित थे।”
आधे घंटे के अंदर सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों की सूची उन की मेज पर थी। कक्षा छे की सूची बहुत लंबी थी। अत: वह पहले उसी तरफ मुड़े।
जैसे ही उन्होंने कक्षा छे में कदम रखे, वहाँ चुप्पी सी छा गई। उन्होंने कठोरतापूर्वक कहा, “मैंने परसों क्या कहा था?”
“यही कि हम सब को स्वतंत्रता दिवस समारोह में उपस्थित होना चाहिए,” गोलमटोल उषा ने जवाब दिया।
“तब बहुत सारे बच्चे अनुपस्थित क्यों थे?” उन्होंने नामों की सूची हवा में हिलाते हुए पूछा।
फिर उन्होंने अनुपस्थित हुए विद्यार्थियों के नाम पुकारे, उन्हें डाँटा और अपने डंडे से उनकी हथेलियों पर मार लगाई।
“अगर तुम लोग राष्ट्रीय समारोह के प्रति इतने लापरवाह हो तो इसका मतलब यही है कि तुम लोगों को अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं है। अगली बार अगर ऐसा हुआ तो मैं तुम सबके नाम स्कूल के रजिस्टर से काट दूँगा।” Read More
अनोखी तरकीब-Short moral stories in hindi
बहुत पुरानी बात है। एक अमीर व्यापारी के यहाँ चोरी हो गयी। बहुत तलाश करने के बावजूद सामान न मिला और न ही चोर का पता चला। तब अमीर व्यापारी शहर के काजी के पास पहुँचा और चोरी के बारे में बताया।
सबकुछ सुनने के बाद काजी ने व्यापारी के सारे नौकरों और मित्रों को बुलाया। जब सब सामने पहुँच गए तो काजी ने सब को एक-एक छड़ी दी। सभी छड़ियाँ बराबर थीं। न कोई छोटी न बड़ी।
सब को छड़ी देने के बाद काजी बोला, “इन छड़ियों को आप सब अपने अपने घर ले जाएँ और कल सुबह वापस ले आएँ। इन सभी छड़ियों की खासियत यह है कि यह चोर के पास जा कर ये एक उँगली के बराबर अपने आप बढ़ जाती हैं। जो चोर नहीं होता, उस की छड़ी ऐसी की ऐसी रहती है। न बढ़ती है, न घटती है। इस तरह मैं चोर और बेगुनाह की पहचान कर लेता हूँ।”
काजी की बात सुन कर सभी अपनी अपनी छड़ी ले कर अपने अपने घर चल दिए। Hindi Story For Kids
उन्हीं में व्यापारी के यहाँ चोरी करने वाला चोर भी था। जब वह अपने घर पहुँचा तो उस ने सोचा, “अगर कल सुबह काजी के सामने मेरी छड़ी एक उँगली बड़ी निकली तो वह मुझे तुरंत पकड़ लेंगे। फिर न जाने वह सब के सामने कैसी सजा दें। इसलिए क्यों न इस विचित्र छड़ी को एक उँगली काट दिया जााए। ताकि काजी को कुछ भी पता नहीं चले।’ Read More
Hindi Story for Kids Book
nice story